बदौलत
- Suman MA
- Jan 4, 2023
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बारिशों के बीच से दिन ऐसे निकल रहा है
जैसे भीड़ में से कोई रास्ता निकाल रहा हो
भीगने की आदत कब की भूल चुकी ज़मीन
बरसते पानी का न्यारा नयापन निहार रही है
भूरे से कुछ नज़ारे धीरे से हरे में बदल रहे हैं
मानो पुराने तस्वीर रंगने को तंग कर रहे हों
कभी हलकी तो कभी बिन झिझक की बौछार
इन बूंदों की बदौलत
वादी की दौलत किश्तों में जमा होने लगी है I
~ सुमन
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